कोई खास
मिलता जो अब तक कोई खास, तो रख लेती दिल के बेहद पास। जब वो रहेता साथ बढ़ाने मेरी आस, ना होती मैं यूॅं निराश । कोई खास नही है, तभी तो जिंदगी बेरंग है। सपने भी कुछ खास नही आ रहे, मंजिल के पास जाने को नहीं तड़पा रहे। सूनापन ये जिंदगी का बहुत तकलीफ दे रहा है, महफिल में मौजूद होने के बावजूद तन्हाई दे रहा है । खुद को कोसते रहेने का मौसम छाए जा रहा है, उसकी कमी का अहसास मुझे बेचैन किए जा रहा है।