'नारी 'शब्द शक्ति का प्रतीक है ,और नारी को अपने जीवन में कई रूप लेने पड़ते है और वह ये सभी रूप अच्छी तरह से निभाती है। नारी से ही ये संसार चक्र आगे बढ़ता है। नारी ईश्वर का वरदान है ,जो हमें महानता का ज्ञान देती है। अगर नारी न होती तो कुछ भी न होता। प्यार और बलिदान का दूसरा रूप 'नारी' है। नारी जब पुत्री के रूप में जन्म लेती है ,तो माता पिता के जीवनमे खुशियाँ भर देती है। अपनी चहक से घर आँगन को महका देती है। जब विदा होकर ससुराल जाती है तो वहाँ पर भी सबको सहजतासे अपना लेती है। अपना घर-बार, माता -पिता सबको भुलाकर सास ससुर को ही अपने माता पिता का दर्जा देती है और गृहलक्ष्मी बनकर अपने कर्त्तव्य का पालन करती है। पत्नी के रूपमे वह पति को एवं उसके परिवार के सदस्योंको ,उनके गुण -दोषो सहित अपनाती है। उनकी पसंद -नापसंद का ख्याल रखती है। नारी में ही वह शक्ति है जो हर नए रूप में अपनेआपको आसानी से ढाल सकती है। नारी का सर्वश्रेष्ठ रूप ''मातृत्व'' का है। नौ मह...
इस संसार में हर वस्तु या इंसान के जीवन का उद्देश्य अलग अलग है और इसीलिए तो उन्हें जीवन मिला है।जीवन का कोई ना कोई कारण तो जरूर है तभी तो हमें यह जीवन मिला है । हमें उस कारण को ढूॅंढना है और फिर उसे समझने की, उसे हाॅंसिल करने की कोशिश करनी है ताकि हमारा जीवन सफल हो जाए। कुछ लोगों को यह लगता है कि अभी तो पूरी जिंदगी पड़ी है बुढ़ापे में देखा जाएगा। पर जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है कहीं ऐसा ना हो कि आखिरी वक्त हम अफसोस करते रह जाए कि जीवन ऐसे ही गॅंवा दिया ।अब ये हमें तय करना है कि हम सिर्फ व्यर्थ की बातों में अपना जीवन गॅंवाना है या अपने जीवन का लक्ष्य ढूॅंढना है ।
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