'नारी 'शब्द शक्ति का प्रतीक है ,और नारी को अपने जीवन में कई रूप लेने पड़ते है और वह ये सभी रूप अच्छी तरह से निभाती है। नारी से ही ये संसार चक्र आगे बढ़ता है। नारी ईश्वर का वरदान है ,जो हमें महानता का ज्ञान देती है। अगर नारी न होती तो कुछ भी न होता। प्यार और बलिदान का दूसरा रूप 'नारी' है। नारी जब पुत्री के रूप में जन्म लेती है ,तो माता पिता के जीवनमे खुशियाँ भर देती है। अपनी चहक से घर आँगन को महका देती है। जब विदा होकर ससुराल जाती है तो वहाँ पर भी सबको सहजतासे अपना लेती है। अपना घर-बार, माता -पिता सबको भुलाकर सास ससुर को ही अपने माता पिता का दर्जा देती है और गृहलक्ष्मी बनकर अपने कर्त्तव्य का पालन करती है। पत्नी के रूपमे वह पति को एवं उसके परिवार के सदस्योंको ,उनके गुण -दोषो सहित अपनाती है। उनकी पसंद -नापसंद का ख्याल रखती है। नारी में ही वह शक्ति है जो हर नए रूप में अपनेआपको आसानी से ढाल सकती है। नारी का सर्वश्रेष्ठ रूप ''मातृत्व'' का है। नौ मह...
ऑंसु थमते नहीं क्योंकि एहसास काबू में नहीं, दिमाग कहता कुछ और पर दिल काबू में नहीं। अश्क ही है जो साथ निभाते आए हैं हमेशा से, इसीलिए किसी और की हमें जरूरत ही नहीं...!
ज़िन्दगी के हर मोड़ पर साथ हैं हम तुम्हारे। दुःख में ,सुख में या परेशानियों में आवाज़ देना हमें रहेंगे एकदूजे के सहारे। मुश्किलें तो आती जाती रहती हैं सीखा जाती है संभलना हमें जीवन के नुकीले रास्तों को फूलों से सजाना हमें ! क्या चाहती हो तुम कुछ सीखना ? अनुभव के सहारे जीवन बीताना ? तो मत घबराओ तक्लीफोंसे अपनालो जीवन को सहजतासे जीवन की हर डगर पर साथ हैं हम तुम्हारे अगर कभी जरुरत पड़ी तो सुनके आएँगे हमेशा सदाएँ तुम्हारी !
Comments