दुविधा

दुविधा में हूॅं कैसे उलझनों को सुलझाऊॅं,
 दर्द के तूफानों से कैसे में टकराऊॅं...
 कशमकश अपनी छुपाकर कैसे मैं मुस्काऊॅं,
 मेरी सच्ची हिम्मत इस जहाॅं को कैसे में दिखलाऊॅं ।

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