प्रकृति माॅं
सुबह का सूरज हो या संध्या की लाली,
प्रकृति माॅं की सुंदरता की बात ही है निराली ।
पक्षियों का गीत हो या झरनों का संगीत,
मन को प्रसन्नता बाॅंटती प्रकृति माॅं की हर रीत ।
चॅंचल बहती नदी हो या समुंदर तूफानी,
अशांति से शांति की तरफ बढ़ती हमारी जिंदगानी ।
पेड़ पौधे हो या फूल, पर्वत हो या बादल,
बढ़ाते रहते हैं जीवन में सदैव आनंद मंगल ।
खुला आसमान हो और चाॅंद सितारों का साथ हो,
चाॅंदनी रात के उन सपनों सी कोई न दूजी सौगात हो ...!
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