दुश्मनी
रात दिन सताती हैं जो मुझे
बना हुआ काम बिगाड़ती हैं,
सारी मेहनत पानी में फेरकर
नादान बनकर इतराती हैं...!
और कोई नहीं वो वह है मेरी कमजोरियां,
जिन से मुझे दुश्मनी है क्योंकि बढ़ाती है वह मेरी गलतियां ।
हर एक में होती है कमियां पर परेशान करके छोड़ती है वह मुझे,
अपनी ही नजरों में यह बार-बार गिरा देती है मुझे ।
यह भी कैसी दुश्मनी है जिसको खत्म करना मेरे ही हाथ है,
तब तक मैं कमजोर हूं जब तक यह मेरे साथ हैं ।
खैर कोई बात नहीं...
इस दुश्मनी को तो मैं मार भगाऊंगी,
इन कमजोरियों को बदलकर अपनी ताकत में,
एक दिन अवश्य मैं मंजिल को पाऊंगी...!!!
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