'आज'
अंधकार की चुप्पी को ओढ़कर
शांत है एक साया !
शांत है एक साया !
कुछ वक़्त अब वो
समय के आधीन नहीं है
संतोष की हल्की सी मुस्कान
उसके चहेरे को
और भी सुन्दर बना रही है !
उसके चहेरे को
और भी सुन्दर बना रही है !
अपना सारा समय
दूसरों पर खर्च करके भी
खुश है वो,
और निश्चिंत भी !
उसे पता नहीं है
आनेवाला कल कैसा होगा
वो तो बस ''आज ''में जी रही है।
वो तो बस ''आज ''में जी रही है।
इसी आज में वो खुश है
यही उसकी ज़िन्दगी है !
यही उसकी ज़िन्दगी है !
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