'दिल की चाहत'
इन लहराती हवाओं में खोया है मेरा दिल। ढूँढना चाहती हूँ पर कैसे ढूँढू ? ये बहेती ठंडी हवा , अविरत आगे बढ़ती सोच , बेरोकटोक उठते कदम चंचल नदी सी मस्तियों में खोकर मै सब कुछ भूल जाना चाहती हूँ अपनेआप को'' फिर'' पाना चाहती हूँ ! बारिश में भीगते हुए गुनगुनाना चाहती हूँ किसीके गीतों पर जी भर के थिरकना है मुझे ! समय के चक्र को पीछे घुमाकर आपमें ही मै खो जाना चाहती हूँ , ''मै '' अब दिल की सुनना चाहती हूँ ------!!!