ओ प्रिया प्रिया !!!
याद है तुझे वो दिन !
वो दिन,जब तुम और मै पहली बार मिले
और फिर मिलते ही रहे थे।
एकदूसरे में खो गए थे हम ,
सच्चे दोस्त बनकर !
हमने साथ में हँसी मजाक की ,
शरारतें की ,साथ पढ़े लिखे ,
आपस में दुःख -दर्द बाँटे।
मैंने तो तुमसे कुछ भी नहीं छुपाया
और शायद तुमने भी !
मैंने तुमसे दोस्ती की, सच्ची मुहोब्बत की तरह !
और तुमने ?
तुम नहीं जानती जाने अनजाने में -
तुमने मेरा कितना दिल दुखाया है ?
तुम ये सोचती रही कि शायद
मुझे तुमसे कोई शिकवा नहीं
पर
यही तो तुम गलत थी ना डिअर !
तुम जो सोचती थी वैसा नहीं था
जब तुम मेरी गलती हो या ना हो ,
मुझ पर गुस्सा होती रही ,
मुझे दोषी मानती रही।
अपनी सारी बातें मुझसे छुपाती रही
हमेशा लेट आती रही
और
कभी कभी तो तुम अपनेआप में ,अपनी मस्ती में
इतना खो जाने लगी ,डूब जाने लगी कि
मुझे ऐसा लगने लगा
जैसे शायद तुम भूल गई हो कि
मै तुम्हारी एक सच्ची दोस्त हूँ।
तुम लेट आती रही तो भी मै तुमसे कुछ ना कहेती
हम इस आखरी साल के बाद बिछड़ जायेंगे फिर भी -
तुम मुझे मिलती रहना या याद करना ऐसा नहीं कहूँगी।
तुम चाहे मुझे याद रखो या भूल जाओ मै तुम्हे कभी नहीं भूलूंगी।
और तुम्हारे रूठ जाने पर ''ओ प्रिया प्रिया---''ये गाना भी
मै नहीं गाऊँगी .
गुड बाय !!!
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