'लिखना है'
लिखना है कुछ लिखना है
सोच तो रही हूँ कब से----!
पर लिखू तो क्या ?
और कैसे ?
सागर की विशालता को कागज पर उतारूँ
या झील की गहराईओं में डूब जाऊँ
कभी मन करता है कि पंछी बन जाऊँ
और निसर्ग की सुंदरता को देखती रहूँ
ये पेड़,ये नदियाँ ,
ये फूल से हरे भरे बाग़
ये बरखा वो बिजली
कितना कुछ है देखनेको ----
सुन भी तो सकते हैं हम
प्रकृति के हर नज़ारोंको !
धीमा धीमा मधुर संगीत बज रहा है
हर तरफ हरियाली है
बस अब एक ही उल्झन है
देखने को लिखनेको कितना कुछ है ------
कब देखूँ , कब लिखूँ ?!!!
सोच तो रही हूँ कब से----!
पर लिखू तो क्या ?
और कैसे ?
सागर की विशालता को कागज पर उतारूँ
या झील की गहराईओं में डूब जाऊँ
कभी मन करता है कि पंछी बन जाऊँ
और निसर्ग की सुंदरता को देखती रहूँ
ये पेड़,ये नदियाँ ,
ये फूल से हरे भरे बाग़
ये बरखा वो बिजली
कितना कुछ है देखनेको ----
सुन भी तो सकते हैं हम
प्रकृति के हर नज़ारोंको !
धीमा धीमा मधुर संगीत बज रहा है
हर तरफ हरियाली है
बस अब एक ही उल्झन है
देखने को लिखनेको कितना कुछ है ------
कब देखूँ , कब लिखूँ ?!!!
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