'घुटन'
ये कैसी घुटन है जो
दूर ले जा रही है
हर ख़ुशी से ,
हर गम से !
तबाही के रास्ते ,
जो खुद मैंने चुन लिए
उनसे दूसरों पर
इल्जामत लगाये जा रही है।
ना दुःख अपने ग़मों का ,
न ख़ुशी किसी और की हँसी पर !
हर वक़्त एक सख्त चेहरा
बनाती जा रही है
ये कैसी घुटन है जो
दूर लिए जा रही है -----
न खुद जी रही है चैनसे
न जीने देती है औरोंको !
सुकुन की नींद ऐसे ही
खोए जा रही है
ये कैसी घुटन है जो ,
मुझे दुर बस और दूर
लिए जा रही है ----!
दूर ले जा रही है
हर ख़ुशी से ,
हर गम से !
तबाही के रास्ते ,
जो खुद मैंने चुन लिए
उनसे दूसरों पर
इल्जामत लगाये जा रही है।
ना दुःख अपने ग़मों का ,
न ख़ुशी किसी और की हँसी पर !
हर वक़्त एक सख्त चेहरा
बनाती जा रही है
ये कैसी घुटन है जो
दूर लिए जा रही है -----
न खुद जी रही है चैनसे
न जीने देती है औरोंको !
सुकुन की नींद ऐसे ही
खोए जा रही है
ये कैसी घुटन है जो ,
मुझे दुर बस और दूर
लिए जा रही है ----!
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