दर्द

मेरे प्यारे दर्द,
   पूछ रही हूॅं तुम्हारा हालचाल,
   आया नहीं तुम्हारा कोई समाचार...
  दिन बीत रहें है लगातार,
  परेशान हूॅं मैं करके यह विचार...!
सच ही तो है ... कितने दिन हो गए, तुम मुझसे मिलने भी नहीं आए ...! भुला दिया क्या मुझे ?
आदत हुई है ऐसे तुम्हारी,
जैसे मैं तो हूॅं दीवानी तुम्हारी...!
जब आते हो तुम पास,
बन जाते हो बहुत खास...!
क्योंकि गर्मजोशी भरी तुम्हारी झप्पी,
मिटा देती है मेरी चुप्पी...!
पहले तो मै बिखर जाती हूॅं,
पर बाद में निखर जाती हूॅं...!
मेरी तन्हाई का एकमात्र सहारा हो तुम,
मेरे इस वीरान जीवन नैया का किनारा हो तुम...!
क्यूॅं कर रहे हो देर ?
आ जाओ जल्दी...ले लो मुझे अपने गर्मजोशी भरे आगोश में...ताकि मै अपना अस्तित्व भुलाकर फिर से खो जाऊॅं तुममें...!और हो जाऊॅं गुमनाम इस दुनिया के अंधेरे में...! हमेशा हमेशा के लिए....!
तुमसे मिलने के लिए बेताब,
तुम्हारी परछाई....!!!
बीना ।

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