मुहब्बत और गुनाह


मुहब्बत और गुनाह साथ-साथ नहीं चल सकते,
जहां प्यार है वहां किसी को दर्द नहीं दे सकते।
 मुहोब्बत तो पूजा होती है,
जो दिल से निभाई जाती है।
जहां कसमें खाई जाती है,
और रस्में भी निभाई जाती है ।
गुनाह एक ऐसी राह है,
जिसका अंतिम पड़ाव सिर्फ सजा है ।
जहां सिर्फ दर्द से शुरुआत होती है,
और अंत भी बड़ा दुखदाई होता है ।

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