हवेली का राज

उस पुरानी हवेली में कई राज दफन थे,
थोड़े सच्चे तो थोड़े बने बनाए किस्से थे ।
डरते थे सब वहां जाने के लिए
क्योंकि रहती थी वहां एक भूतनी डराने के लिए...

बाहर से जितनी ही आकर्षक थी वह हवेली,
अंदर से उतनी ही अकेली पड़ गई थी वह ।
तरस गई थी वह देखने इंसान का मुखड़ा,
कहां जाए किसे सुनाये वह अपना दुखड़ा....

भूतनी बूतनी नहीं थी वहां... थी वह एक अबला,
जिसने गुंडों से बचने  लिया था वहां आसरा ।
लोगों की कहानियों को भूतनी बनकर उसने सच कर दिया,
अपने सच्चे अस्तित्व को उसने उस हवेली में दफन कर दिया ...!!!

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