पूर्णत्व की खोज

हम पूर्णत्व पाने की खोज में यहाँ वहाँ भटकते रहते हैं  पर हम ये भूल जाते है  कि हमें जो अपेक्षा दूसरों से है वही अपेक्षा किसी को हमसे है !पहले हमें अपनेआप में  पूर्णत्व  लाने का परिवर्तन करना है  पहले हमें सुधरना है फिर अगर हो सके तो अपने कार्य को इतना प्रभावशाली बनाना है  जिससे लोग हमसे प्रेरित होकर खुद ब खुद पूर्णत्व लाने का प्रयास करेंगे
    इतना सब कुछ जानने ,सोचने और लिखने के बाद भी क्या मैं  अपनेआप को पूर्ण गुणी बना पाई हूँ ?नहीं  !दुसरो में पूर्णता को खोजना और उसकी अपेक्षा करना जितना सहज सरल है उतना ही कठिन है अपनेआपको पूर्ण  व्यक्ति बना पाना !
   क्या इससे   यह साबित नहीं होता की हम खुद अपूर्ण होने पर भी हर व्यक्ति  में पूर्णता खोजते है ये जानते हुए  भी कि इस दुनिया में कोई भी पूर्ण नहीं है। !मगर फिर भी हमारा ये सफर हमें रुकाना नहीं है ,चलते ही जाना है पूर्णत्व की खोज में ...... आगे बढ़ना है  पूर्णत्व  की खोज में.......



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Apurnatva ko jaan pana bhi, purnata ki or badhna hai...bahut khub

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