'अस्तित्व'

मुझमेँ  भी समाया है एक गहरा सत्य
अपने अस्तित्व का !
पल पल घुट रहा है जो 
और 
बढ़ रहा है अपने अंत की तरफ !
       काश किसीने संजोया होता उसे प्यारसे ,
       पिरोया होता मोतियों की तरह 
       और पौधों की तरह की होती उसकी देखभाल। 
काश कोई समझ पाया होता 
मेरे सत्य ''अस्तित्व'' को !!!

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